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Monday, July 03, 2006
shayari
फासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था ।
सामने बैठा था मेरे, और वो मेरा न था ।
लाऊंगा मै कहॉं से जुदाई का हौसला ?
क्यूँ इस कदर करीब मेरे आ रहे हो तुम ?
हिज्र की रात काटनेवाले !
क्या करेगा अगर सहर न हुई ?
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